उत्तर प्रदेश गन्ना मूल्य

उत्तर प्रदेश गन्ना मूल्य: UP में गन्ने का भाव बढ़ा, किसानों के लिए राहत, लेकिन चुनौतियाँ बरकरार

उत्तर प्रदेश सरकार ने पेराई सत्र 2025-26 के लिए प्रदेश में गन्ने के राज्य सलाहकारी मूल्य (SAP) में ₹30 प्रति क्विंटल की वृद्धि की है। अब अगैती (शीघ्र पकने वाली) किस्म का भाव ₹400 प्रति क्विंटल और सामान्य किस्म का भाव ₹390 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इस कदम से लगभग 45-46 लाख गन्ना किसानों को लाभ होने की संभावना जताई जा रही है।

क्या बदला है?

  • सामान्य गन्ने का नया मूल्य: ₹390/क्विंटल
  • शीघ्र पकने वाले (अगैती) किस्म का नया मूल्य: ₹400/क्विंटल
  • वृद्धि के पीछे मकसद: किसानों की लागत बढ़ने की पृष्ठभूमि में राहत देना और गन्ना मूल्य निर्धारण को समय पर करना। ([Navbharat Times][4])

किसानों व किसान संगठनों की प्रतिक्रिया

  • बड़ी संख्या में किसानों ने इस वृद्धि को स्वागत किया है क्योंकि इससे उनकी आय में बढ़ोतरी होगी।
  • लेकिन राकेश टिकैत ने कहा है कि “यह बढ़ोतरी किसानों की वास्तविक लागत के हिसाब से पर्याप्त नहीं है।”

“सरकार ने दरें बढ़ाई हैं, लेकिन किसानों की लागत के हिसाब से और बढ़ोतरी जरूरी है।” – राकेश टिकैत

  • किसान नेता यह भी कह रहे हैं कि मिलों द्वारा भुगतान और गन्ने की क्रय प्रकिया में देरी न हो, इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

सरकारी पहल व सुधार

  • सरकार ने इस पेराई सत्र में गन्ना पर्ची वितरण प्रक्रिया को डिजिटल化 किया है — अब किसानों को मोबाइल SMS द्वारा पर्ची मिल रही है।
  • बिचौलियों को कम करने, भुगतान में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

प्रभाव और आगे के प्रश्न

  • अनुमान है कि इस मूल्य वृद्धि से किसानों को लगभग ₹3,000 करोड़ तक अतिरिक्त भुगतान हो सकता है।
  • इससे गन्ना खेती करने वालों की आय में सुधार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सशक्तीकरण हो सकता है।
  • हालांकि, यह सवाल बना हुआ है कि क्या इस वृद्धि से लागत-मुनाफे के संतुलन को सही तरह से Address किया गया है, और मिलों/क्रय केंद्रों में व्यवस्था समय पर काम करेगी या नहीं।
  • गन्ना उत्पादन की गुणवत्ता, मिल संचालन, लागत नियंत्रण आदि चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं।

निष्कर्ष

यह कदम निश्चित रूप से किसानों के लिए राहत का संकेत है — गन्ने का भाव बढ़ने से उनकी आय में वृद्धि की उम्मीद है। लेकिन सिर्फ भाव बढ़ना ही पर्याप्त नहीं है; गन्ना क्रय, भुगतान, मिल-प्रक्रिया, लागत के आधार पर मूल्य निर्धारण जैसे मसले अब भी महत्वपूर्ण बने हुए हैं। अगर इन बातों पर भी ठोस कदम उठाए गए तो यह नीति वास्तव में किसानों की मजबूती में योगदान दे सकती है।

आर्थिक राहत की दिशा में एक कदम सही है, लेकिन सच्ची मिठास तब होगी जब किसान की मेहनत का पूरा फल समय पर और निष्पक्ष रूप से उसे मिल सके।