सोरम की ऐतिहासिक चौपाल 84 खापों की परंपरा, महेंद्र सिंह टिकैत के उदय, किसान आंदोलनों, 1988 बोट क्लब आंदोलन और 2020 किसान आंदोलन की रणनीति का केंद्र रही है। पश्चिमी यूपी की राजनीति और खाप संस्कृति को समझने वाला विशेष रिपोर्ट।
Muzaffarnagar। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति, किसान आंदोलनों और खाप परंपराओं की बात हो और सोरम की चौपाल का नाम न आए—यह संभव नहीं। सोरम की ऐतिहासिक चौपाल सिर्फ़ एक इमारत नहीं, बल्कि 84 खापों की सामूहिक शक्ति, किसानों के संघर्ष और सामाजिक निर्णयों का सदियों पुराना केंद्र है।
🔹 सोरम चौपाल का इतिहास
यह चौपाल खाप संस्कृति की सबसे मजबूत पहचान मानी जाती है। यहां लिए गए फैसले सिर्फ गांव ही नहीं, पूरे पश्चिमी यूपी को दिशा देते रहे हैं।
🔹 महेंद्र सिंह टिकैत का उदय
यहीं से शुरू हुई किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत की आवाज़, जिसने देशभर में किसान आंदोलनों को नई धार दी। सोरम की चौपाल ही उनकी रणनीतियों और बड़े फैसलों का मुख्य आधार बनी।
🔹 सर्वखाप पंचायत की अनोखी व्यवस्था
84 खापों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर बैठाने वाली सर्वखाप पंचायत की सबसे बड़ी और अनोखी व्यवस्था भी यहीं से संचालित होती है। यह पंचायत सामाजिक मुद्दों, विवादों और जन-कल्याण से जुड़े निर्णयों के लिए प्रसिद्ध है।
🔹 1988 बोट क्लब आंदोलन का केंद्र
दिल्ली का ऐतिहासिक बोट क्लब आंदोलन सोरम की इसी चौपाल में बनाई गई रणनीति का परिणाम था। किसानों की ताकत का वह प्रदर्शन आज भी याद किया जाता है।
🔹 2013 दंगों के बाद पहली शांति पंचायत
मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पहली शांति पंचायत भी इसी चौपाल में हुई, जिसने आपसी बातचीत और सामाजिक सौहार्द को वापस पटरी पर लाने में अहम भूमिका निभाई।
🔹 2020 किसान आंदोलन की रणनीति
दिल्ली बॉर्डर पर हुए किसान आंदोलन (2020) की कई महत्वपूर्ण रणनीतियाँ भी इसी चौपाल में बनाईं गईं। आंदोलन की दिशा, नेतृत्व और फैसलों में सोरम की अहम भागीदारी रही।
🔹 रात की पंचायत: सबसे दिलचस्प रिवाज
सोरम की एक विशेष परंपरा है—रात में होने वाली पंचायत। गांव की शांति, ठंडे दिमाग और गंभीर माहौल में बड़े निर्णय रात में लिए जाते हैं। यह परंपरा आज भी जारी है।
🔹 टिकैत परिवार और सोरम का रिश्ता
टिकैत परिवार का इस चौपाल से गहरा और ऐतिहासिक रिश्ता रहा है। आज भी बड़े किसान मुद्दों पर टिकैत परिवार की सलाह और निर्णय इसी चौपाल से निकले हुए माने जाते हैं।
📌 सौ बात की एक बात
सोरम की चौपाल सिर्फ विरासत नहीं—यह पश्चिमी यूपी की राजनीति, किसानों की ताकत और 84 खापों की सदियों पुरानी एकता का जीवंत प्रतीक है।
— “सोरम चौपाल: जहाँ फैसले सिर्फ लिए नहीं जाते, इतिहास लिखा जाता है।”
