Parliament Winter Session 2025: लोकसभा में बिजनौर से रालोद सांसद चंदन चौहान ने कहा कि यह मांग 1981 से चली आ रही है, उनके दादा और पिता ने भी संसद में इस मुद्दे को उठाया था.
नई दिल्ली। संसद में आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए हाईकोर्ट बेंच की मांग एक बार फिर जोरदार तरीके से गूंजी। बिजनौर से रालोद सांसद चंदन चौहान ने सदन में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि “पश्चिमी उत्तर प्रदेश से इलाहाबाद हाईकोर्ट की दूरी बहुत अधिक है, जबकि पाकिस्तान के लाहौर हाईकोर्ट सहित अन्य प्रदेशों के हाईकोर्ट इससे अधिक नजदीक पड़ते हैं।”
सांसद चंदन चौहान ने कहा कि लाखों लोगों को न्याय पाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। उन्होंने सरकार से मेरठ या पश्चिमी यूपी के किसी केंद्रीय स्थान पर हाईकोर्ट बेंच की तत्काल स्थापना की मांग की, ताकि आम जनता को राहत मिल सके।
उन्होंने तर्क दिया कि पश्चिमी यूपी देश के सबसे व्यस्ततम न्यायिक क्षेत्रों में से एक है, जहाँ केसों की संख्या अधिक है और जनसंख्या भी बड़ी है, ऐसे में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना पूरी तरह न्यायसंगत और आवश्यक है।
सांसद के इस वक्तव्य का क्षेत्र के अधिवक्ताओं और सामाजिक संगठनों ने स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार इस मांग पर जल्द सकारात्मक कदम उठाएगी।
रालोद सांसद चंदन सिंह चौहान ने कहा कि उत्तर प्रदेश, पश्चिम उत्तर प्रदेश के 22 जिलों की बार काउंसिलों के अध्यक्षों ने और सांसदों ने सभी सांसदों को घेराव किया और एक महत्वपूर्ण मांग की है. जो साल 1981 से चलती आ रही है उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की उस की तरफ ध्यान आकर्षित किया. मैं कानून मंत्री और सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखंड के हाईकोर्ट पश्चिमी यूपी से ज्यादा नजदीक हैं. यहां तक पाकिस्तान के लाहौर हाईकोर्ट की दूरी भी कम है.
इसके साथ ही रालोद सांसद चंदन चौहान ने कहा कि यह मांग 1981 से चली आ रही है, उनके दादा और पिता ने भी संसद में इस मुद्दे को उठाया था. बता दें कि यह मुद्दा पश्चिमी यूपी में लंबे समय से चलता आ रहा, क्षेत्र के वकील और बार काउंसिल लगातार आंदोलन कर रहे हैं. हाल ही में महाराष्ट्र में बॉम्बे हाईकोर्ट की पांचवीं बेंच की घोषणा के बाद यह मांग और तेज हो गई है. वकीलों का तर्क है कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखंड के हाईकोर्ट पश्चिमी यूपी से ज्यादा नजदीक हैं.
