पूनम पंडित और दीपक गिरी की सगाई: मोहब्बत और सियासत का संगम, किसान आंदोलन से जन्मी कहानी ने ली नई उड़ान
पूनम पंडित और दीपक गिरी की सगाई
मवाना | पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक नई कहानी चर्चा में है, मोहब्बत और सियासत के मेल की कहानी। किसान आंदोलन के दिनों में अपनी दमदार आवाज़ से देशभर में पहचान बनाने वाली पूनम पंडित ने अब अपने जीवन का नया अध्याय शुरू किया है। उन्होंने समाजवादी पार्टी के युवा नेता दीपक गिरी से सगाई कर ली है। यह रिश्ता न सिर्फ दो दिलों का मिलन है, बल्कि दो राजनीतिक विचारधाराओं का सुंदर संगम भी माना जा रहा है।
कभी ट्रैक्टर रैलियों में किसानों के हक़ की आवाज़ बुलंद करने वाली पूनम, अब अपने जीवन में नई शुरुआत करने जा रही हैं। सियासत की गलियों में गूंजने वाली यह सगाई की खबर पूरे मेरठ और मवाना में चर्चा का विषय बन गई है। किसान आंदोलन के दिनों में जिस महिला ने दिल्ली की सीमाओं पर डटकर किसानों की आवाज़ को देश के कोने-कोने तक पहुँचाया, वही पूनम अब दीपक गिरी जैसे लोकप्रिय युवा नेता के साथ जीवन की नई राह पर कदम रख चुकी हैं।
दीपक गिरी मवाना क्षेत्र के एक जाने-माने समाजवादी चेहरा हैं। सादगी, मिलनसार स्वभाव और सामाजिक सरोकारों के कारण वे युवाओं में खासा लोकप्रिय हैं। वे न सिर्फ राजनीति में सक्रिय हैं, बल्कि समाजसेवा को अपनी प्राथमिकता मानते हैं। यही समान सोच शायद पूनम और दीपक को एक-दूसरे के करीब लेकर आई।
दोनों के रिश्ते की चर्चा जब सामने आई, तो सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता लग गया। ट्विटर (एक्स), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #PoonamPandit और #DeepakGiri ट्रेंड करने लगे। समर्थक कहने लगे “ये रिश्ता सिर्फ दो दिलों का नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं का मेल है जहाँ मोहब्बत भी है, मिशन भी।”
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूनम और दीपक की जोड़ी आने वाले समय में पश्चिमी यूपी की राजनीति में एक नई ऊर्जा लेकर आ सकती है। एक ओर जहाँ पूनम पंडित अपनी बेबाक आवाज़, नेतृत्व क्षमता और महिला सशक्तिकरण की प्रतीक हैं, वहीं दीपक गिरी का जुड़ाव जमीनी राजनीति से है। दोनों मिलकर समाज और युवाओं के बीच नई सोच की लहर पैदा कर सकते हैं।
पूनम पंडित कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन उनकी पहचान पार्टी से ज्यादा उनके जज़्बे और विचारों से बनी। किसान आंदोलन के दौरान उनकी आवाज़ ने सत्ता के गलियारों तक असर डाला था। वहीं दीपक गिरी समाजवादी विचारधारा के प्रतिनिधि हैं — जो समाज और किसानों की भलाई के लिए हर मोर्चे पर सक्रिय रहते हैं।
सगाई की तस्वीरें सामने आते ही, समर्थकों ने इसे “सियासत में सजी मोहब्बत की मिसाल” कहा। कई लोगों ने लिखा — “जब राजनीति में वैचारिक मतभेद होते हैं, वहाँ पूनम और दीपक ने दिखाया कि रिश्ते विचारों से नहीं, दिल से बनते हैं।”
अब सबकी नज़र इस जोड़ी की आने वाली योजनाओं पर है क्या ये रिश्ता भविष्य की किसी नई राजनीतिक दिशा का संकेत है, या सिर्फ दो दिलों की मोहब्बत का खूबसूरत सफर? फिलहाल इतना तय है कि किसान आंदोलन से निकली आवाज़ अब सियासत और मोहब्बत दोनों में नई कहानी लिखने जा रही है।
मेरठ से मवाना तक, और सोशल मीडिया से सियासत के गलियारों तक हर कोई यही कह रहा है:
“ये जोड़ी नहीं, मोहब्बत और मिशन का मेल है जहाँ सियासत भी मुस्कुरा रही है, और दिल भी।”



