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मोदी का घर जाना और पंकज का यूपी के ‘कमल’ का चौधरी बनना: 200 मीटर की वो सियासी चाल जिसने बदली तस्वीर | BJP Strategy News

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक फैसलों और सार्वजनिक गतिविधियों को केवल औपचारिक घटनाओं के रूप में देखना अक्सर भ्रम पैदा कर देता है। उनकी राजनीति प्रतीकों, संकेतों और समय की गहरी समझ पर आधारित रही है। 7 जुलाई 2023 को उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री का महज 200 मीटर पैदल चलकर पंकज चौधरी (Pankaj Chaudhary) के घर जाना भी ऐसा ही एक कदम था, जिसे उस समय कई लोगों ने शिष्टाचार मुलाकात मानकर नजरअंदाज कर दिया था। लेकिन समय के साथ यह साफ होता गया कि यह दौरा केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश और भविष्य की रणनीति का हिस्सा था।

उस यात्रा के बाद से पंकज चौधरी का राजनीतिक कद जिस तरह उभरा, वह सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा। 14 दिसंबर से पहले ही प्रदेश की राजनीति में उनकी भूमिका और राष्ट्रीय स्तर पर उनकी स्वीकार्यता खुलकर सामने आने लगी थी। यह उभार अचानक नहीं था, बल्कि सत्ता के शीर्ष पर बैठे नेतृत्व की सूक्ष्म राजनीतिक समझ और दीर्घकालिक योजना का परिणाम माना जा रहा है।

नरेंद्र मोदी की राजनीति की सबसे बड़ी विशेषता यही रही है कि उनके कदम पारंपरिक राजनीतिक गणनाओं से अलग दिखाई देते हैं। उनके किसी भी मूवमेंट, निर्णय या प्रक्रिया का अनुमान न तो मीडिया पहले से लगा पाता है और न ही कई बार उनके निकट सहयोगी। वे संकेत बहुत कम देते हैं, लेकिन जब परिणाम सामने आते हैं, तो वे स्पष्ट, ठोस और दूरगामी होते हैं।

मोदी राजनीति में प्रतीकों और समय की भूमिका को गहराई से समझते हैं। किससे मिलना है, कहां जाना है और किस क्षण सार्वजनिक रूप से कोई कदम उठाना है—यह सब केवल वर्तमान के लिए नहीं, बल्कि भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने के लिए होता है। पंकज चौधरी के घर की वह 200 मीटर की यात्रा भी इसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिसने आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए समीकरणों की नींव रखी।

यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर कदम को तत्काल प्रभाव से नहीं, बल्कि समय के व्यापक फ्रेम में रखकर देखने की जरूरत होती है। उनकी राजनीति का वास्तविक अर्थ अक्सर बाद में समझ आता है, जब फैसले परिणाम में बदल चुके होते हैं और संकेत, इतिहास का हिस्सा बन जाते हैं।

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