पूर्व विधायक गोपाल काली ने मंत्री दिनेश खटीक पर हमला बोलते हुए कहा कि हस्तिनापुर को श्रापित बताना यहां की जनता का अपमान है। जनता जवाब देगी।
हस्तिनापुर। हस्तिनापुर की राजनीति में बयानबाजी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य सरकार के मंत्री दिनेश खटीक द्वारा हस्तिनापुर को ‘श्रापित भूमि’ बताए जाने के बाद सियासत गर्मा गई है। अब इस मामले पर हस्तिनापुर के पूर्व विधायक एवं राष्ट्रीय लोकदल नेता गोपाल काली ने कड़ा बयान जारी करते हुए मंत्री दिनेश खटीक पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
गोपाल काली ने कहा कि मंत्री द्वारा हस्तिनापुर को श्रापित भूमि बताना यहां रहने वाले लाखों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कदम है। यदि यह धरती वास्तव में श्रापित थी तो उन्होंने यहीं से दो बार चुनाव क्यों लड़ा? इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी बहन को गाजियाबाद से यहां लाकर नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भी लड़वाया। अब जब जनता नाराज़ है तो मंत्री इस क्षेत्र को अपमानित कर भागने का रास्ता ढूंढ रहे हैं।
पूर्व विधायक ने कहा कि मंत्री के समर्थक उन्हें चुनौती दे रहे हैं, लेकिन यदि मंत्री में हिम्मत है तो वे उनके खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़कर दिखाएं। उन्होंने कहा कि अगर वह उन्हें हरा दें तो वह राजनीति से संन्यास लेने को तैयार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री और उनकी बहन ने अपने कार्यकाल में कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया, इसलिए आज जनता नाराज़ है।
गोपाल काली ने तीखे शब्दों में कहा कि “तुम मोदी-योगी जी के आशीर्वाद से मंत्री तो बन गए, लेकिन हस्तिनापुर के विकास के लिए ईमानदारी से काम नहीं किया। नौ सालों तक हस्तिनापुर का चीर हरण करने वाला आज इसे श्रापित बता रहा है।” उन्होंने कहा कि हस्तिनापुर किसी भी रूप में श्रापित नहीं है बल्कि आध्यात्मिक एवं पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण भूमि है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने भी समय बिताया था।
पूर्व विधायक ने दावा किया कि मंत्री ने भ्रष्टाचार करते हुए जो संपत्ति अर्जित की है, वह भी इसी भूमि की देन है। ऐसे में इस धरती को श्रापित कहना न केवल राजनीति से प्रेरित है, बल्कि यहां की आस्था और सम्मान का अपमान भी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी लिखा कि यदि मंत्री ने हस्तिनापुर को श्रापित घोषित किया है तो इस पर जनता और देश को अपनी राय रखनी चाहिए, क्योंकि यह मामला केवल राजनीतिक बयान नहीं बल्कि आस्था का प्रश्न है।
