बहसूमा। क्षेत्र में साप्ताहिक अवकाश के कानून की खुली अनदेखी का मामला लगातार सामने आ रहा है, जहां कस्बे के कुछ व्यापारी निर्धारित बंदी के दिन भी अपनी दुकानें पूरे समय खुली रखकर श्रम कानूनों का मजाक उड़ा रहे हैं। साप्ताहिक अवकाश कर्मचारियों को आराम, स्वास्थ्य और काम–जीवन संतुलन बनाए रखने के लिए एक अनिवार्य प्रावधान है, जिसे ‘साप्ताहिक अवकाश दिन अधिनियम, 1942’ के तहत लागू किया गया है। इसके बावजूद कस्बे में कुछ व्यापारियों द्वारा इस नियम का पालन न करना गंभीर चिंता का विषय है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, बहसूमा में सप्ताहिक छुट्टी वाले दिन भी कई दुकानें पूरे दिन संचालित होती हैं। इससे कर्मचारियों को बिना किसी अवकाश के काम करना पड़ता है, जबकि कानून उन्हें सप्ताह में एक अनिवार्य आराम का दिन देता है। क्षेत्र में श्रम विभाग की निगरानी कमजोर होने के कारण कई व्यापारी बिना किसी भय के मनमानी जारी रखे हुए हैं।
इस मामले में जब श्रम विभाग के अधिकारी विनय कुमार दुबे से फोन पर बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि—
“जिन व्यापारियों द्वारा साप्ताहिक अवकाश का उल्लंघन किया जा रहा है, उनके खिलाफ जल्द ही कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
अधिकारी की इस प्रतिक्रिया से उम्मीद जगी है कि क्षेत्र में श्रम कानूनों की स्थिति जल्द सुधरेगी और कर्मचारियों को उनका वैधानिक आराम दिवस मिल सकेगा। स्थानीय निवासियों ने भी मांग की है कि विभाग द्वारा सख्त कार्रवाई कर नियमों को प्रभावी बनाया जाए।
