“न्याय की दूरी 700 किलोमीटर नहीं, जनता के दरवाज़े तक हो—यही है पश्चिमी यूपी की आवाज़।”
बहसूमा (मेरठ) | पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर बुधवार को बहसूमा कस्बे में पूर्णतया ऐतिहासिक बंद देखने को मिला। सुबह से ही कस्बे के मुख्य बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा। सभी प्रमुख बाजारों में दुकानों के शटर बंद रहे और आम जनजीवन ठप सा नजर आया।
इस बंद को लेकर वकीलों के आंदोलन को न केवल व्यापारियों बल्कि स्कूल प्रबंधन और सामाजिक संगठनों का भी व्यापक समर्थन मिला। व्यापार संघ अध्यक्ष अमन गोयल ने बताया कि बार एसोसिएशन के आह्वान पर क्षेत्र के अधिकांश प्रतिष्ठान बंद रखे गए।
अमन गोयल ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों की यह दशकों पुरानी मांग है कि यहां हाईकोर्ट की एक स्थायी बेंच स्थापित की जाए। वर्तमान में हाईकोर्ट इलाहाबाद में स्थित होने के कारण आम नागरिकों को न्याय के लिए लंबी दूरी और भारी खर्च उठाना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि मेरठ से इलाहाबाद की दूरी लगभग 700 किलोमीटर है, जिसे तय करने में न केवल समय बल्कि आर्थिक संसाधन भी खर्च होते हैं। इससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को न्याय पाना और भी कठिन हो जाता है।
व्यापार संघ अध्यक्ष ने साफ शब्दों में कहा कि जब तक पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना नहीं होती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। बहसूमा का यह बंद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में न्याय की मांग को लेकर एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

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